what is PCOS in hindi / पीसीओएस (PCOS) क्या है ?


तो आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे की पीसीओएस (PCOS) क्या है / what is pcos in hindi ( Polycystic Ovary Syndrome / पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ) क्या है ? यह महिलाओ में होने वाला एक प्रमुख रोग है जो हार्मोन के असुंतलन के कारण होता है, यह समस्या महिलाओ में आजकल काफी सामान्य हो गई है। क्या ये कभी न ठीक होने वाली बीमारी है ? और इसे कैसे ठीक करें ? तो आज के इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे की पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम क्या है , इसके लक्षण, कारण, और उपचार क्या है ?


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पीसीओएस (PCOS) क्या है / what is PCOS in hindi ?

यह महिलाओं की एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है , जिसमें हॉर्मोन की असंतुलन और अनियमित मासिक धर्म संबंधित , यौन रोगों में बढ़त, वजन का बढ़ना, अतिरिक्त बालों की वृद्धि, और चेहरे पर अक्ने ( दाने ) आना भी शामिल हैं। महिला के अंडाशय से पुरुष हार्मोन उत्पन्न होने लगता है जो की सामान्य से अधिक होता है। जिसके कारन हार्मोन असंतुलन हो जाता है। यह अंडाशय के सामान्य विकास को प्रभावित करता है , जिसके कारन अंडाशयों में cysts बनने का भी सम्भावना भी हो सकता हैं।

इसमें, अंडाशय (ovary) असामान्य रूप से पुरुष हार्मोन (androgens) उत्पन्न करते हैं, जो सामान्य से अधिक होते हैं। इसका कारण हार्मोनल असंतुलन होता है जो अंडाशय के सामान्य विकास और अंडाशय से अंडा का निष्कासन प्रभावित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अंडाशयों में cysts बन सकती हैं।

पीसीओएस (PCOS) के लक्षण -


1 . मासिक धर्म का अनियमित होना : पीरियड्स का समय पर नहीं आना या बहुत अधिक होना , मासिक धर्म का अनियमित होने से तातपर्य है।

2 . चेहरे, छाती, और पीठ पर अत्यधिक बालो का आना।


3 . फेस पर पिम्पले , मुहासे और ऑयली स्किन ( तवचा ) होना।


4 . गर्भधारण करने में समस्या आना या बार बार गर्भपात होना। ( गर्भधारण में कठिनाई )


5 . वजन बढ़ने की समस्या : पीसीओएस (PCOS) में महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या बहुत आम है।


6 . मूड स्विंग्स होना


7 . बालो का झड़ना


8 . महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन ( पुरुष हार्मोन ) के स्तर का उच्च होना।


9 . नींद ना आना और सिर में दर्द होना।


10 . थकान होना

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यदि आपको इनमे से अगर कोई भी लक्षण लगता है , या आपको लगता है की आप पीसीओएस (PCOS) से ग्रसित है तो आप अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें और एक सही उपचार की शुरुआत करें।

पीसीओएस (PCOS) के कारण / पीसीओएस (PCOS) किन किन कारणों से होते हैं।


1 हार्मोनल असंतुलन : PCOS कई कारणों से हो सकती है और अभी तक पीसीओएस (PCOS) के कारण का कोई ठोस पता नहीं चला पाया है की आखिर पीसीओएस (PCOS) होने की क्या वजह है। उन्ही कारणों में से एक कारण हार्मोनल इम्बैलेंस भी है यानी की महिलाओं के शरीर में हार्मोनल का असुंतलन होना जिसमे की मुख्या रूप से एस्ट्रोजन, और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव होता है। जिसके कारण PCOS जैसी समस्या देखने को मिलती है।

2 . जीवनशैली : ख़राब जीवनशैली भी पीसीओएस (PCOS) का एक कारण बन सकती है। क्योंकि ख़राब जीवनशैली जैसे की कोई फिजिकल एक्टिविटी को न शामिल करना और सही आहार न लेना , इन सबकी वजह से आपका हार्मोनल इम्बैलेंस हो सकता है। जो की एक मुख्या कारण है पीसीओएस का इसीलिए सही आहार का सेवन जरूर करें , जिससे की आपकी बॉडी भी हेअल्थी रहती है और हार्मोनल का संतुअलन भी संयमित रहता है।

3. डायबिटीज: डायबिटीज वाले व्यक्ति या महिलाओं में पीसीओएस (PCOS) का खतरा अधिक देखा गया है।
 

4 अधिक वजन: जैसा की आपको पता है की मोटापा किसी भी रूप में अच्छा नहीं माना जाता है। महिलाओं में अधिक वजन बढ़ने के कारण भी बहुत से महिलाओं में पीसीओएस (PCOS) का खतरा देखा गया है। तो महिलायें इस बात का विशेष ध्यान दें की वो अपनी वजन का ख़ास ख्याल रखे जीवन शैली में थोड़ी कसरत भी जरूर शामिल करें।
 

5 . थायराइड की समस्या : जिन महिलाओं में थायराइड की समस्या होती है , उनमे PCOS होने का खतरा बना रहता है। तो थायराइड की समस्या भी PCOS का एक मुख्या कारक हो सकता है।
 

6 धूम्रपान व शराब का सेवन : धूम्रपान व शराब का सेवन करना भी PCOS को बढ़ा सकते हैं।


7. उम्र : PCOS महिलाओ की बढ़ती उम्र साथ भी हो सकता है। अक्सर बहुत से महिलाओं 30-35 के उम्र के बाद भी PCOS होने की संभावना बानी रहती है।
 

ये कुछ सामान्य कारण हैं जिनके वजह से महिलाओं में PCOS जैसी बीमारी होने की सम्भावना बन जाती है। हालांकि और भी कई कारण पर ये कुछ मुख्य कारण है।


अभी तक आपने जाना की PCOS किन - किन कारणों से हो सकता है , पर अब आप जानेंगे की इसके उपचार क्या क्या है। / PCOS treatment in hindi 


PCOS से बचाव के उपाय / PCOS treatment in hindi : 

1. स्वस्थ और संतुलित आहार : सबसे पहले आप अपने दैनिक दिनचर्या में स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें। बाहर की तेल मसाले वाली चीज़ें का सेवन कम करें अथवा बंद ही कर दें तो भी कोई हर्ज नहीं है। स्वस्थ आहार से आपके बॉडी की फिजियोलॉजिकल फंक्शन्स भी सही रहेगा और लिवर भी दुरुस्त रहेगा जिससे की आपके बॉडी का मेटाबोलिज्म सही होगा और सबसे जरुरी चीज़ आपका हार्मोनल लेवल बैलेंस रहेगा जो की PCOS से बचाव के बेहद जरुरी है।

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2. व्यायाम : व्यायाम एक बेहद जरुरी चीज़ है यह सभी को नियमित रूप से करनी चाइये चाहे आपको कोई रोग या बीमारी हो या न हो , इसे अपने दिनचर्या मैं जरूर से शामिल करें। व्यायाम करने से महिलयों में PCOS की समस्या में काफी हद तक लाभ होता है। नियमित रूप से 30 मिनट व्यायाम जरूर करें।




3. वजन पे लगाएं लगाम : महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या बहुत ही कॉमन हो चुकी है इन दिनों जिसका मुख्या कारण आज आज का आज का लाइफस्टाइल है। और आपको बता दें की वजन बढ़ना महिलाओं में PCOS होने का मुख्या कारण है। और आपको बता दें की वजन बढ़ना महिलाओं में PCOS होने का मुख्या कारण है। कयोंकि अत्यधिक वजन बढ़ने से आपका हार्मोनल इम्बैलेंस हो सकता है यानी की आपके हार्मोन्स की संतुलन बिगड़ सकती हैं ,और आपको PCOS और अन्य हार्मोन्स से जुडी बीमारियां या डिसऑर्डर होने की सम्भावना बन जाती है। तो इस बात का अवश्य ध्यान रखे की आप ओवर वेट ना हों। नियमित रूप से कसरत करें या वाक पे तो जरूर जाएँ अगर आप कसरत नहीं कर सकतें है तो और संतुलित आहार लें जिसमे की आपको प्रोटीन , कर्बोहैड्रेट्स और हेअल्थी फैट्स शामिल रहें।




4. सिमित कार्बोहाइड्रेट आहार : ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स वाले आहार का सेवन ना करें क्योंकि इससे आपका वजन और इंसुलिन का स्तर भी बढ़ेगा जो की आपके स्वस्थ के लिए सही नहीं है। अगर कार्बोहाइड्रेट्स वाले आहार का सेवन सिमित या कम मात्रा में करें तो ये आपके वजन और इन्सुलिन दोनों के स्तर कम करने मैं प्रभावी है।


5. डॉक्टर की सलाह: PCOS में डाक्टर की सलाह बेहद महत्वपूर्ण होती है , तो आप अपने स्वस्थ के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर माने और समय - समय जांच और डॉक्टर के परामर्श के लिए जरूर संपर्क करें। और डॉक्टर के कहे अनुसार ही दवाई खाये।



तो इस ब्लॉग में आपने जाना what is PCOS in hindi / PCOS क्या है ? और इसके उपचार क्या क्या हो सकते है
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धन्यवाद।


डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।





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